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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक | प्रतिसाद | वाचने |
अंतिम अद्यतन![]() |
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28/09/18 | गीतरचना | उभं पीक पाण्यासाठी.. | Chitra Kahate | 4 | 1,869 | 3 वर्षे 3 months |
19/01/19 | अनुभवकथन | उठ शेतकऱ्या, घे मशाल | Komal Bhujbal | 7 | 3,209 | 3 वर्षे 12 months |
19/09/18 | गझल | मेला कृषक उपाशी | Dr. Ravipal Bha... | 6 | 3,639 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
26/09/18 | कथा | आणि तिनं खुरप्याच्या पाठीला धार लावली... | Raosaheb Jadhav | 2 | 2,060 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
09/09/18 | काव्यसंग्रह समीक्षण | *अस्वस्थ काळ अधोरेखित करणारा - माणसाच्या सोयीचा देव* | Kiran dongardive | 1 | 1,262 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
09/10/18 | चळवळीतील अनुभव | शेतमालाच्या भावाची लढाई | तेजराव मुंढे | 1 | 1,354 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
19/09/18 | पद्यकविता | धोरण | RANGNATH TALWATKAR | 3 | 2,856 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
24/09/18 | गझल | हालहाल पोचलेत कुंचल्यातही तुझे | Dhirajkumar Taksande | 5 | 3,442 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
12/09/18 | गझल | गर्भार कास्तकारी | Ramesh Burbure | 11 | 5,760 | 4 वर्षे 3 आठवडे |
21/09/18 | गीतरचना | कवडीमोल दाम | मुक्तविहारी | 6 | 3,534 | 4 वर्षे 1 month |
23/09/18 | छंदोबद्ध कविता | दारिद्र्य | मुक्तविहारी | 2 | 1,487 | 4 वर्षे 1 month |
27/09/18 | छंदोबद्ध कविता | लढू गड्यांनो | लक्ष्मण खेडकर | 5 | 3,074 | 4 वर्षे 1 month |
08/10/18 | छंदोबद्ध कविता | रोज नवेच मरण | Sidheshwar Ingole | 4 | 2,948 | 4 वर्षे 1 month |
18/09/18 | गीतरचना | आडून धोरणांच्या! | प्रदीप थूल | 3 | 1,804 | 4 वर्षे 1 month |
12/09/18 | गीतरचना | स्वाभिमान तू माझा | RANGNATH TALWATKAR | 2 | 2,338 | 4 वर्षे 1 month |
24/09/18 | गीतरचना | कवा हासू कवा रडू | आशिष आ. वरघणे | 2 | 2,082 | 4 वर्षे 1 month |
29/09/18 | गीतरचना | तू रे पोशिंदा जगाचा | ravindradalvi | 3 | 2,918 | 4 वर्षे 1 month |
09/10/18 | गीतरचना | धोरण | RANGNATH TALWATKAR | 1 | 1,336 | 4 वर्षे 1 month |
10/10/18 | गीतरचना | सरकारी धोरण, रचे बापाचे सरण | बालाजी कांबळे | 3 | 3,071 | 4 वर्षे 1 month |
01/10/18 | अनुभवकथन | पिकलेला काटा अन् करपलेली पिके | Bhaskar Bhujang... | 1 | 1,201 | 4 वर्षे 1 month |
13/09/18 | शेतीतील अनुभव | शेतकऱ्यांप्रती सरकारची अनास्था | नितीन साळुंके | 2 | 1,839 | 4 वर्षे 1 month |
16/09/18 | गझल | ते प्रेत बोलताहे | Dhirajkumar Taksande | 2 | 1,605 | 4 वर्षे 1 month |
24/09/18 | गझल | "खोटेच पंचनामे" | Ramesh Burbure | 5 | 3,611 | 4 वर्षे 1 month |
21/09/18 | गझल | चोरीस सूट आता | प्रदीप थूल | 5 | 2,583 | 4 वर्षे 1 month |
06/10/18 | गझल | गझल: सर्वहारा | Dhirajkumar Taksande | 1 | 1,068 | 4 वर्षे 1 month |