नमस्कार !
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प्रकाशन दिनांक | प्रकार | शिर्षक | लेखक | वाचने | प्रतिसाद | अंतिम अद्यतन |
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02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | हा गोवंश हत्याबंदी कायदा आहे की शेतकर्यावर लादलेली वेठबिगारी? | गंगाधर मुटे | 306 | 04/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | “शेतीतज्ज्ञां”नो, थोडीतरी लाज बाळगा! | गंगाधर मुटे | 425 | 04/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | उलट्या काळजांची उलटी गंगा | गंगाधर मुटे | 380 | 04/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | स्वदेशीचे ढोंगधतूरे | गंगाधर मुटे | 367 | 04/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | बायल्यावाणी कायले मरतं? | गंगाधर मुटे | 304 | 04/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | पाहून घे महात्म्या | गंगाधर मुटे | 371 | 03/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | सांग तुकोराया : अभंग | गंगाधर मुटे | 296 | 03/01/23 | |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | शुभेच्छा देतो की मस्करी करतो? : नागपुरी तडका | गंगाधर मुटे | 295 | 03/01/23 | |
21/11/2020 | नागपुरी तडका | शुभेच्छा देतो की मस्करी करतो? : नागपुरी तडका | गंगाधर मुटे | 3,422 | 1 | 03/01/23 |
02/01/2023 | लेखनस्पर्धा-२०२२ | शेतकऱ्यांची सत्यकथा | भालचंद्र डंभे | 394 | 03/01/23 |
शेतकरी साहित्य चळवळ-संमेलन
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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05-02-2018 | ४ थे अ.भा. मराठी शेतकरी साहित्य संमेलन : सिंहावलोकन | 9,085 |
12-02-2018 | ४ थे अ.भा.म.शे.सा.सं : चित्रवृत्तांत : गझल मुशायरा | 2,885 |
13-02-2018 | ४ थे अ.भा.म.शे.सा.सं : समारोप | 2,115 |
10-02-2018 | ४ थे अ.भा.म.शे.सा.सं : चित्रवृत्तांत : कवी संमेलन | 3,864 |
10-02-2018 | ४ थे अ.भा.म.शे.सा.सं : चित्रवृत्तांत : उदघाटन सत्र | 5,755 |
विश्वस्तरीय लेखनस्पर्धा : २०१४ ते २०२४
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | लेखक | वाचने |
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18-09-2024 | आत्महत्या नव्हे, शेतकर्यांचा शासकीय खून! | गंगाधर मुटे | 60 |
18-09-2024 | वांगे अमर रहे...! | गंगाधर मुटे | 46 |
18-09-2024 | तर नांगर दाबणारे हात मंत्र्यांचे गळे दाबतील | Andi2702 | 57 |
18-09-2024 | शोषकांना पोषक : जातीयवादाचा भस्मासूर : युगात्मा शरद जोशी | संपादक | 42 |
05-05-2024 | समग्र वृत्तांत : ११ वे अ.भा.म.शे.सा.संमेलन | rajendraphand | 738 |
माझी मराठी गझल
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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15-07-2011 | एकदा तरी | 1,634 |
15-07-2011 | नेते नरमले | 1,571 |
15-07-2011 | ’पाकनिष्ठ’ कांदा, लुडबूडतो कशाला? | 1,664 |
15-07-2011 | भारी पडली जात | 1,839 |
15-07-2011 | सोकावलेल्या अंधाराला इशारा | 1,603 |
"रानमेवा" काव्यसंग्रह
प्रकाशन दिनांक | शिर्षक | वाचने |
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17-06-2011 | कान पिळलेच नाही | 1,728 |
17-06-2011 | अय्याशखोर | 1,694 |
17-06-2011 | सत्ते तुझ्या चवीने | 2,336 |
17-06-2011 | स्वप्नसुंदरी | 2,333 |
17-06-2011 | गोचिडांची मौजमस्ती | 1,706 |
नवीन प्रतिसाद