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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक | प्रतिसाद | वाचने | अंतिम अद्यतन |
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06/09/19 | गझल | गज़ल : घाट्याच्या सौद्यात शेती | Dr. Ravipal Bha... | 25 | 9,350 | 4 वर्षे 10 months |
10/09/19 | गझल | गज़ल : विळखा अरे ऋणाचा | Dr. Ravipal Bha... | 13 | 6,252 | 4 वर्षे 8 months |
12/10/19 | कर्जमुक्ती आंदोलन | पार्टी द्या, कर्ज घ्या; कोंबडी द्या, वसुली थांबवा | गंगाधर मुटे | 12 | 4,762 | 4 वर्षे 8 months |
13/09/19 | गझल | कर्जाच्या जाचात शेती | Ramesh Burbure | 12 | 5,549 | 4 वर्षे 8 months |
30/09/19 | कथा | पाचवीला पुजलेलं -'ऋण' | Narendra Gandhare | 11 | 4,244 | 4 वर्षे 8 months |
28/09/19 | गझल | गझल :अस्तित्व भारताचे | Dhirajkumar Taksande | 10 | 4,202 | 4 वर्षे 11 months |
28/09/19 | ललितलेख | ललितलेख ( होता सोन्याचा संसार ) | Ganesh Warpe | 7 | 2,714 | 4 वर्षे 8 months |
12/09/19 | गझल | गज़ल : सीमेवरी जराशे जाऊन या तुम्ही. | Dr. Ravipal Bha... | 7 | 2,459 | 4 वर्षे 10 months |
08/09/19 | गझल | गझल: कर्जातल्या जिवांच्या नशिबास कोण तारी! | Dhirajkumar Taksande | 7 | 2,242 | 5 वर्षे 3 दिवस |
13/09/19 | गझल | गझल :शेती चरून गेली. | Dhirajkumar Taksande | 6 | 2,216 | 4 वर्षे 11 months |
16/09/19 | पद्यकविता | एल्गार | श्री. अनिकेत देशमुख | 6 | 2,378 | 4 वर्षे 8 months |
23/09/19 | गीतरचना | राम नई रायना दादा खेतीमां (अहिराणी) | महेश | 6 | 2,641 | 4 वर्षे 8 months |
07/10/19 | छंदोबद्ध कविता | सटवाई | ravindradalvi | 6 | 2,091 | 4 वर्षे 10 months |
27/09/19 | कथा | मातीमोल आयुष्य | Pratibha | 6 | 2,204 | 4 वर्षे 8 months |
17/09/19 | गझल | उद्योग हिरवळीचा | Pradip thool | 5 | 2,404 | 4 वर्षे 8 months |
19/09/19 | पद्यकविता | आधी माझ्या कुणब्याला जपा | Khillare bramhadev | 5 | 1,600 | 4 वर्षे 11 months |
25/09/19 | पद्यकविता | गेरवा | Narendra Gandhare | 5 | 1,924 | 4 वर्षे 10 months |
22/09/19 | गीतरचना | पोशिंद्याची शोकांतिका | Narendra Gandhare | 5 | 1,840 | 4 वर्षे 11 months |
30/09/19 | छंदोबद्ध कविता | विळख्यात शेत माझे | Pradip thool | 5 | 1,703 | 4 वर्षे 11 months |
09/09/19 | गझल | गझल : मरण्याशिवाय आहे? पर्याय का तरी..... | Dhirajkumar Taksande | 5 | 1,794 | 5 वर्षे 3 दिवस |
30/09/19 | कवितेचे रसग्रहण | माझ्या गावाकडे चल माझ्या दोस्ता:कवी इंद्रजित भालेराव | Khillare bramhadev | 4 | 9,826 | 2 वर्षे १ आठवडा |
13/09/19 | छंदमुक्त कविता | लोओकुन सारखा बाप हवा, शेतकऱ्यांना! | Dhirajkumar Taksande | 4 | 1,944 | 4 वर्षे 8 months |
10/10/19 | वैचारिक लेख | शेतीतील परावलंबीत्व कमी होणे ..काळाची गरज | ravindradalvi | 4 | 1,882 | 4 वर्षे 8 months |
30/09/19 | छंदोबद्ध कविता | शेतक-याची परिस्थिती | Giridhar kachole | 4 | 2,096 | 4 वर्षे 8 months |
26/09/19 | छंदोबद्ध कविता | आभाळाचे गूढ बोलले | Shridhar | 4 | 1,832 | 4 वर्षे 8 months |