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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक |
प्रतिसाद![]() |
वाचने | अंतिम अद्यतन |
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06/09/19 | गझल | गज़ल : घाट्याच्या सौद्यात शेती | Dr. Ravipal Bha... | 25 | 11,575 | 5 वर्षे 8 months |
10/09/19 | गझल | गज़ल : विळखा अरे ऋणाचा | Dr. Ravipal Bha... | 13 | 7,891 | 5 वर्षे 5 months |
12/10/19 | कर्जमुक्ती आंदोलन | पार्टी द्या, कर्ज घ्या; कोंबडी द्या, वसुली थांबवा | गंगाधर मुटे | 12 | 6,621 | 5 वर्षे 5 months |
13/09/19 | गझल | कर्जाच्या जाचात शेती | Ramesh Burbure | 12 | 6,836 | 5 वर्षे 5 months |
30/09/19 | कथा | पाचवीला पुजलेलं -'ऋण' | Narendra Gandhare | 11 | 5,791 | 5 वर्षे 5 months |
28/09/19 | गझल | गझल :अस्तित्व भारताचे | Dhirajkumar Taksande | 10 | 5,780 | 5 वर्षे 8 months |
28/09/19 | ललितलेख | ललितलेख ( होता सोन्याचा संसार ) | Ganesh Warpe | 7 | 3,807 | 5 वर्षे 5 months |
12/09/19 | गझल | गज़ल : सीमेवरी जराशे जाऊन या तुम्ही. | Dr. Ravipal Bha... | 7 | 3,913 | 5 वर्षे 8 months |
08/09/19 | गझल | गझल: कर्जातल्या जिवांच्या नशिबास कोण तारी! | Dhirajkumar Taksande | 7 | 3,507 | 5 वर्षे 9 months |
13/09/19 | गझल | गझल :शेती चरून गेली. | Dhirajkumar Taksande | 6 | 3,080 | 5 वर्षे 8 months |
16/09/19 | पद्यकविता | एल्गार | श्री. अनिकेत देशमुख | 6 | 3,716 | 5 वर्षे 5 months |
23/09/19 | गीतरचना | राम नई रायना दादा खेतीमां (अहिराणी) | महेश | 6 | 4,106 | 5 वर्षे 5 months |
07/10/19 | छंदोबद्ध कविता | सटवाई | ravindradalvi | 6 | 3,230 | 5 वर्षे 8 months |
27/09/19 | कथा | मातीमोल आयुष्य | Pratibha | 6 | 3,410 | 5 वर्षे 5 months |
17/09/19 | गझल | उद्योग हिरवळीचा | Pradip thool | 5 | 3,637 | 5 वर्षे 5 months |
19/09/19 | पद्यकविता | आधी माझ्या कुणब्याला जपा | Khillare bramhadev | 5 | 2,472 | 5 वर्षे 9 months |
25/09/19 | पद्यकविता | गेरवा | Narendra Gandhare | 5 | 3,312 | 5 वर्षे 7 months |
22/09/19 | गीतरचना | पोशिंद्याची शोकांतिका | Narendra Gandhare | 5 | 3,049 | 5 वर्षे 8 months |
30/09/19 | छंदोबद्ध कविता | विळख्यात शेत माझे | Pradip thool | 5 | 2,718 | 5 वर्षे 8 months |
09/09/19 | गझल | गझल : मरण्याशिवाय आहे? पर्याय का तरी..... | Dhirajkumar Taksande | 5 | 2,903 | 5 वर्षे 9 months |
30/09/19 | कवितेचे रसग्रहण | माझ्या गावाकडे चल माझ्या दोस्ता:कवी इंद्रजित भालेराव | Khillare bramhadev | 4 | 15,592 | 2 वर्षे 9 months |
13/09/19 | छंदमुक्त कविता | लोओकुन सारखा बाप हवा, शेतकऱ्यांना! | Dhirajkumar Taksande | 4 | 3,086 | 5 वर्षे 5 months |
10/10/19 | वैचारिक लेख | शेतीतील परावलंबीत्व कमी होणे ..काळाची गरज | ravindradalvi | 4 | 3,122 | 5 वर्षे 5 months |
30/09/19 | छंदोबद्ध कविता | शेतक-याची परिस्थिती | Giridhar kachole | 4 | 3,101 | 5 वर्षे 5 months |
26/09/19 | छंदोबद्ध कविता | आभाळाचे गूढ बोलले | Shridhar | 4 | 2,933 | 5 वर्षे 5 months |