नमस्कार !
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प्रकाशन दिनांक | प्रकार | शिर्षक | लेखक | वाचने | प्रतिसाद | अंतिम अद्यतन |
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26/06/2011 | वांगे अमर रहे | कृषिविद्यापीठांना अनुदान कशाला हवे? | गंगाधर मुटे | 2,224 | 26/06/11 | |
26/06/2011 | वांगे अमर रहे | कुर्हाडीचा दांडा | गंगाधर मुटे | 2,863 | 26/06/11 | |
26/06/2011 | वांगे अमर रहे | गंधवार्ता..... एका प्रेताची! | गंगाधर मुटे | 1,897 | 26/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | गंगाधर मुटेंचा काव्यमेवा - कवितेचा परिचय | बेफिकीर | 4,087 | 3 | 24/06/11 |
24/06/2011 | रानमेवा | रानमेवाची दखल | संपादक | 2,227 | 24/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | रानमेवा - भूमिका | गंगाधर मुटे | 48,826 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | रानमेवा प्रस्तावना - मा. शरद जोशी | संपादक | 7,466 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | भावात्म काव्यात्मकतेचा 'गोडवा’ | प्रा. मधुकर पाटील | 2,261 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | 'सकाळ' 'सप्तरंग पुरवणीत' 'रानमेवा' ची दखल | संपादक | 3,985 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | इतके उत्तम भाष्य फ़क्त श्रेष्ठ कवीच करू शकतो | वामन देशपांडे | 2,110 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | काळ्या मातीचा गंध शब्दाशब्दांतून जाणवतो. | डॉ.श्रीकृष्ण राऊत | 2,256 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | सर्वच कविता वाचनीय | मुकुंद कर्णिक | 2,084 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | विचार- सरणीचं अचूक दर्शन | छाया देसाई | 1,855 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | चाकोरीबाहेरचं लिहायचा प्रयास | गिरीश कुलकर्णी | 2,007 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | लिखाणामधे खूप विविधता | स्वप्नाली | 1,863 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | सडेतोड लेखणीतून वास्तवचित्र | डॉ भारत करडक | 1,952 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | लिखाण अतिशय प्रामाणिक | जयश्री अंबासकर | 2,357 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | अभ्यासपूर्ण आणि अस्सल काव्य | अनिलमतिवडे | 1,867 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | अनुभवांची शिदोरी आणि सृजनशीलतेची समृद्धी | अलका काटदरे | 1,920 | 23/06/11 | |
23/06/2011 | रानमेवा | एक “अनुभवसिद्ध रानमेवा" | प्रकाश महाराज वाघ | 1,868 | 23/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | नाते ऋणानुबंधाचे.. | गंगाधर मुटे | 1,566 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | शेतकरी संघटक | २१ जून २०११ - अंक ६ - वर्ष २८ | संपादक | 1,758 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | शेतकरी संघटक | ६ जून २०११ - अंक ५ - वर्ष २८ | संपादक | 2,685 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | बायोडाटा..!! | गंगाधर मुटे | 1,985 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | अंगावरती पाजेचिना....!! | गंगाधर मुटे | 1,741 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | माणूस | गंगाधर मुटे | 1,576 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | तू तसा - मी असा | गंगाधर मुटे | 1,454 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा शेतीकाव्य | नंदनवन फ़ुलले ...!! | गंगाधर मुटे | 2,175 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | मांसाहार जिंदाबाद ...!! | गंगाधर मुटे | 6,481 | 22/06/11 | |
22/06/2011 | रानमेवा | जरासे गार्हाणे | गंगाधर मुटे | 1,500 | 22/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | विलाप लोकसंख्येचा .. | गंगाधर मुटे | 1,596 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | घायाळ पाखरांस .. | गंगाधर मुटे | 1,839 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा शेतीकाव्य | चाहूल नवःउषेची | गंगाधर मुटे | 1,780 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | कथा एका आत्मबोधाची...!! | गंगाधर मुटे | 2,235 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | दोन मूठ राख | गंगाधर मुटे | 1,491 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | अट्टल चोरटा मी........!! | गंगाधर मुटे | 1,686 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | सरबत...... प्रेमाच्या नात्याचं | गंगाधर मुटे | 1,840 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | फ़ुलझडी..........!!!! | गंगाधर मुटे | 1,490 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | नशा स्वदेशीची...!! | गंगाधर मुटे | 1,581 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | तू हसलीस ... | गंगाधर मुटे | 2,308 | 20/06/11 | |
20/06/2011 | रानमेवा | मी गेल्यावर ....? | गंगाधर मुटे | 1,525 | 20/06/11 | |
19/06/2011 | रानमेवा | कुठे बुडाला चरखा? | गंगाधर मुटे | 2,043 | 19/06/11 | |
19/06/2011 | रानमेवा | छातीचं झाकण बोम्लीवर आलं | गंगाधर मुटे | 3,520 | 19/06/11 | |
19/06/2011 | रानमेवा शेतीकाव्य | धकव रं श्यामराव | गंगाधर मुटे | 1,943 | 19/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा | आंब्याच्या झाडाले वांगे | गंगाधर मुटे | 3,531 | 18/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा | हिशेबाची माय मेली? | गंगाधर मुटे | 1,562 | 18/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा | तरी हुंदक्यांना गिळावे किती? | गंगाधर मुटे | 1,605 | 18/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा शेतीकाव्य | कसे अंकुरावे अता ते बियाणे? | गंगाधर मुटे | 2,162 | 18/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा शेतीकाव्य | स्मशानात जागा हवी तेवढी | गंगाधर मुटे | 2,064 | 18/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा | अंगार चित्तवेधी | गंगाधर मुटे | 1,697 | 18/06/11 | |
18/06/2011 | रानमेवा | घट अमृताचा | गंगाधर मुटे | 1,516 | 18/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | सूडाग्नीच्या वाटेवर | गंगाधर मुटे | 1,696 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | कान पिळलेच नाही | गंगाधर मुटे | 1,658 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | अय्याशखोर | गंगाधर मुटे | 1,617 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | सत्ते तुझ्या चवीने | गंगाधर मुटे | 2,269 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | स्वप्नसुंदरी | गंगाधर मुटे | 2,230 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | गोचिडांची मौजमस्ती | गंगाधर मुटे | 1,631 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | आभास मीलनाचा.. | गंगाधर मुटे | 1,868 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | घुटमळते मन अधांतरी | गंगाधर मुटे | 1,666 | 17/06/11 | |
17/06/2011 | रानमेवा | हे खेळ संचिताचे .....! | गंगाधर मुटे | 1,740 | 17/06/11 |