नमस्कार !
बळीराजावर आपले स्वागत आहे. |
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प्रकाशन दिनांक | लेखनविभाग | शीर्षक | लेखक | प्रतिसाद | वाचने | अंतिम अद्यतन |
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24/09/18 | गझल | हालहाल पोचलेत कुंचल्यातही तुझे | Dhirajkumar Taksande | 5 | 3,956 | 5 वर्षे 3 months |
12/09/18 | गीतरचना | स्वाभिमान तू माझा | RANGNATH TALWATKAR | 2 | 2,771 | 5 वर्षे 3 months |
09/09/18 | पद्यकविता | सासर झालं माहेर | Kiran dongardive | 1 | 1,237 | 5 वर्षे 3 months |
10/10/18 | गीतरचना | सरकारी धोरण, रचे बापाचे सरण | बालाजी कांबळे | 3 | 3,460 | 5 वर्षे 3 months |
09/10/18 | चळवळीतील अनुभव | शेतमालाच्या भावाची लढाई | तेजराव मुंढे | 1 | 1,607 | 5 वर्षे 3 months |
24/09/18 | गीतरचना | शेतकऱ्याच्या मुला | आशिष आ. वरघणे | 624 | 5 वर्षे 6 months | |
13/09/18 | शेतीतील अनुभव | शेतकऱ्यांप्रती सरकारची अनास्था | नितीन साळुंके | 2 | 2,146 | 5 वर्षे 3 months |
23/09/18 | वैचारिक लेख | शेतकऱ्यांच्या चळवळी | rameshwar | 2 | 2,341 | 5 वर्षे 3 months |
22/10/18 | पद्यकविता | विश्वस्तरीय लेखन स्पर्धा 2018 साठी कविता - एल्गार | श्री. अनिकेत देशमुख | 2 | 2,093 | 5 वर्षे 3 months |
24/09/18 | कथा | वादळ | आशिष आ. वरघणे | 3 | 1,782 | 5 वर्षे 3 months |
27/09/18 | छंदोबद्ध कविता | लढू गड्यांनो | लक्ष्मण खेडकर | 5 | 3,548 | 5 वर्षे 3 months |
08/10/18 | छंदोबद्ध कविता | रोज नवेच मरण | Sidheshwar Ingole | 4 | 3,676 | 5 वर्षे 3 months |
19/09/18 | गझल | मेला कृषक उपाशी | Dr. Ravipal Bha... | 6 | 4,507 | 5 वर्षे 3 months |
12/10/18 | पद्यकविता | माणसांच्या जिवापेक्षा..तुमचा भाव जास्त का? | महेश | 2 | 2,146 | 5 वर्षे 3 months |
21/09/18 | पद्यकविता | माझा राजा बळी | मुक्तविहारी | 4 | 3,054 | 5 वर्षे 3 months |
15/09/18 | पद्यकविता | मरणाचे धोरण | sunandasalunke | 1 | 1,401 | 5 वर्षे 3 months |
27/09/18 | छंदमुक्त कविता | मग मात्र लिहावीच लागते कविता... | Raosaheb Jadhav | 5 | 3,887 | 5 वर्षे 3 months |
09/09/18 | छंदमुक्त कविता | भारत महासत्ता कधी होईल यार | Kiran dongardive | 1 | 2,851 | 5 वर्षे 3 months |
26/09/18 | पद्यकविता | बैल म्हणाले | आशिष आ. वरघणे | 1 | 978 | 5 वर्षे 3 months |
29/09/18 | पद्यकविता | बळीराजा | Chitra Kahate | 3 | 2,209 | 5 वर्षे 3 months |
18/09/18 | वैचारिक लेख | बदलेल धोरण, तर टळेल मरण! | Dhirajkumar Taksande | 8 | 4,852 | 5 वर्षे 3 months |
20/09/18 | पद्यकविता | बंद रस्ते | Rajesh Jaunjal | 3 | 2,520 | 5 वर्षे 3 months |
18/09/18 | गझल | प्राण वेचताना | Dhirajkumar Taksande | 9 | 5,733 | 5 वर्षे 3 months |
27/09/18 | पद्यकविता | पोसता कांदा... | Raosaheb Jadhav | 1 | 1,003 | 5 वर्षे 3 months |
09/09/18 | छंदमुक्त कविता | पोट भरल्यावर लढाई संपते यार | Kiran dongardive | 1 | 1,163 | 5 वर्षे 3 months |